चढ़ाई
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]चढ़ाई संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ चढ़ना]
१. चढ़ने की क्रिया या भाव ।
२. ऊँचाई की और ले जानेवाली भूमि । वह स्थाना जो आगे की ओर बराबर ऊँचा होता गया हो और जिस पर चलने में पैर कुछ उठाकर रखने के कारण अधिक परिश्रम पड़े । जैसे,—आगे जो कोस की चढ़ाई पड़ती है ।
३. शत्रु से लड़ने के लिये दलबल के सहित प्रस्थान । धावा । आक्रमण । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना ।
४. किसी देवता की पूजा का आयोजन ।
५. किसी देवता को पूजा या भेंट चढ़ाने की क्रिया । चढ़ावा । कड़ाही । उ॰— सूर नंद सो कहत जसोदा दिन आए अब करहु चढ़ाई ।— सूर (शब्द॰) ।