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चढ़ाना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चढ़ाना क्रि॰ स॰ [हिं॰ चढ़ाना का प्रे॰ रूप]

१. नीचे से ऊपर ले जाना । ऊँचाई पर पहुँचाना । जैसे,—यह चारपाई ऊपर चढ़ा दो । क्रि॰ प्र॰—देना ।—लेना ।

२. चढ़ने का काम कराना । चढ़ने में प्रवृत्त करना । जैसे,— उसे व्यर्थ पेड़ क्यों चढ़ाते हो, गिर पड़ेगा । क्रि॰ प्र॰— देना ।

३. नीचे तक लटकती हुई वस्तु को सिकोड़ या खिसकाकर ऊपर की ओर ले जाना । ऊपर की ओर समेटना । जैसे,— आस्तीन चढ़ाना, मोहरी चढ़ाना । धोती चढ़ाना । क्रि॰ प्र॰—देना ।—लेना ।

४. आक्रमण कराना । धावा कराना । चढ़ाई कराना । दूसरे को आक्रमण में प्रवृत्त करना । मुहा॰—चढ़ा लाना = आक्रमण या चढ़ाई के लिये किसी को दल बल सहित साथ लाना । जैसे,—वह नादिरशाह को दिल्ली पर चढ़ा लाया ।

५. महँगा करना । भाग बढ़ाना ।

६. स्वर तीव्र करना । सुर ऊँचा करना । आवाज तेज करना ।

७. ढ़ोल सितार आदि की ड़ोरी को कसना या तानना ।

८. किसी देवता या महात्मा आदि को भेंट देना । देवार्पित करना । नजर रखना । जैसे, फूल चढ़ाना, मिठाई चढ़ाना ।

९. सवारी पर बैठाना । सवार कराना । जैसे,—घोड़े पर चढ़ाना, गाड़ी पर चढ़ाना ।

१०. चटपट पी जाना । गले से उतार जाना । जैसे,—वह आज एक लोटा भाँग चढ़ा गया । विशेष—शिष्टता के व्यवहार में इस अर्थ में इस शब्द का प्रयोग नहीं होता । इसमें पीनेवाले पर अधिक पी जाने आदि का आरोप व्यंग या विनोद के अवसर पर ही होता है ।

११. किसी के माथे ऋण निकालना । किसी को देनदार ठहराना । जैसे,—उसके ऊपर क्यों इतना कर्जा चढ़ाते जाते हो ?

१२. किसी पुस्तक, बही कागज आदि पर लिखना । टाँकना । दर्ज करना । (यह प्रयोग किसी ऐसी रकम, वस्तु या नाम के लिये होता है जिसका लेखा रखना होता है) । जैसे,—इन रुपयों को भी बही पर चढ़ा लो ।

१३. पकने या आँच खाने के लिये चूल्हे पर रखना । जैसे,—दाल चढ़ाना, हाँड़ी चढ़ाना ।

१४. लेप करना । लगाना । पोतना । जैसे,—माथे पर चदन चढ़ाना, दवा चढ़ाना, कपड़े पर रंग चढ़ाना ।

१५. एक वस्तु के ऊपर दूसरी वस्तु सटाना । मढ़ना । ऊपर से लगाना । आवरण रूप में लगाना । ऊपर से टाँकना । जैसे—जिल्द चढ़ाना, कि ताब पर कागज चढ़ाना, छाते पर कपड़ा चढ़ाना, खोल या गिलाफ चढ़ाना, गोट चढ़ाना ।

१६. सितार, सारंगी, धनुष आदि में तार या ड़ोरी कसकर बाँधना । जैसे—रोदा चढ़ाना । मुहा॰—धनुष चढ़ाना = धनुष की कोटि पर पतंचिका चढ़ाना । धनुष की ड़ोरी को तानकर छोर पर बाँधना या अटकाना । वि॰ दे॰ 'धनुष' ।