सामग्री पर जाएँ

चनक

विक्षनरी से


प्रकाशितकोशों से अर्थ

[सम्पादन]

शब्दसागर

[सम्पादन]

चनक पु ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ चणक] चना । उ॰—जानत हैं चारो फल चार ही चनक कौ ।—तुलसी (शब्द॰) ।

चनक ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ चनकना] चनकने का भाव या स्थिति ।

चनक ^३ वि॰ [सं॰ क्षण]

१. क्षणिक ।

२. खुलना और बंद होना । उ॰—चनक मूँद खग मृग सब चकैं । मदन गुपाल केलि रस छकैं ।—घनानंद, पुं॰ २८९ ।