चन्द्रगुप्त
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]चंद्रगुप्त संज्ञा पुं॰ [सं॰ चन्द्रगुप्त]
१. चित्रगुप्त जो यम की सभा में रहते हैं ।
२. मगध देश का प्रथम मौर्यवंशी राजा । विशेष—इसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी और इसने बलख के यूनानी (यवन) राजा सील्यूकस पर विजय प्राप्त करके उसकी कन्या ब्याही थी । कौटिल्य चाणक्य की सहायता से महानंद तथा और नंदवंशियों को मारकर इसने मगध का राजसिंहासन प्राप्त किया था, जिसकी कथा, विष्णु, ब्रह्मा, स्कंद , भागवत आदि पुराणों में मिलती है । इसी कथा को लेकर संस्कृत का प्रसिद्ध नाटक मुद्राराक्षस बना है । चंद्रगुप्त बडा प्रतापी राजा था । इसने पंजाब आदि स्थानों से यवनों (यूनानियों) को निकाल दिया था । यह ईसा से ३२१ वर्ष पूर्व मगध के राजसिंहासन पर बैठा और १४ वर्ष तक राज्य करता रहा ।
३. गुप्त वंश का एक बडा प्रतापी राजा । विशेष—इसे विक्रम या विक्रमादित्य भी कहते थे । इसका विवाह लिच्छवी राज की कन्या कुमारी देवी से हुआ था । शिलालेखों से जाना जाता है कि इस राजा ने सन् ३१८ के लगभग समस्त उत्तरी भारत पर साम्राज्य स्थापित किया था । लोगों का अनुमान है कि इसी प्रथम चंद्रगुप्त ने गुप्त संवत् चलाया था ।
४. गुप्त वंश का एक दूसरा राजा । विशेष—यह प्रथम चंद्रगुप्त के पुत्र समुद्रगुप्त का पुत्र था । इसे विक्रमांक और देवराज भी कहते थे । इसने अपना विवाह नेपाल के राजा की कन्या ध्रुवदेवी के साथ किया था । इसने दिग्विजय करके बहुत से देशों में अपनी कीर्ति स्थापित की थी । शिलालेखों से पत्ता लगता है कि इसने ईसवी सन् ४०० से ४१३ तक राज्य किया था ।