चपत
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]चपत संज्ञा पुं॰, स्त्री॰ [सं॰ चपट]
१. तमाचा या थप्पड़ जो सिर या गाल पर मारा जाय । विशेष—कुछ लोग चपत केवल उसी थप्पड़ को कहते हैं, जो सिर पर लगे । क्रि॰ प्र॰—जमना ।—जमाना ।—बैठना ।—मारना ।—लगाना । उ॰—बैठती आन बान से तो क्यों । बात बैठी अगर चपत बैठे ।—चुभते॰, पृ॰ ५२ । मुहा॰—चपत झाड़ना या धरना = चपत मारना । यो॰—चपतगाह = खोपड़ा । गुददी ।
२. धक्का । हानि । नुकसान । जैसे, बैठे बैठाए चार रुपए का चपत बैठ गया । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।—बैठना ।