चपल
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]चपल वि॰ [सं॰]
१. कुछ काल तक एक स्थिति में न रहनेवाला । बहुत हिलने ड़ोलनेवाला । चंचल । तेज । फुरतीला । चुलबुला । उ॰—(क) भोजन करत्त चपल चित इत उत्त अवसर पाय ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) जस अपजस देखति नहीं देखति साँवर गात । कहा करौं लालच भरे, चपल नैन ललचात । — बिहारी (शब्द॰) ।
२. बहुत काल तक न रहनेवाला । क्षणिक ।
३. उतावला । हड़बड़ी मचानेवाला । जल्दबाज ।
४. अभिप्रायसाधन में उद्यत । अवसर न चूकनेवाला । चालाक । धृष्ट । उ॰—मधुप तुम्ह कान्ह ही की कही क्यों न कही है ? यह बतकही चपल चेरी की चिपट चरेरी और ही है ।—तुलसी (शब्द॰) ।
चपल ^२ संज्ञा पुं॰
१. पारा । पारद ।
२. मछली । मत्स्य ।
३. चातक । परीहा ।
४. एक प्रकार का पत्थर ।
५. चौर नामक सुगंधद्रव्य ।
६. राई ।
७. एक प्रकार का चूहा । यौ॰—चपलगति = तेज चाल । चपलचित = चंचल चित्त । चपलस्पर्धा = तीव्र स्पर्धा ।