चमीर पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ चामीकर, प्रा॰ चामीअर] दे॰ 'चामीकर' । उ॰—मोताहल रहती नहीं, हैंवर हीर चमीर । जेहलिया जाताँ जुगाँ, बातां रहसी वीर ।—बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰३, पृ॰ ८ ।