चरस

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चरस ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ चर्म]

१. भैंस या बैल आदि के चमड़े से बना हुआ थैला ।

२. चमड़े का बना हुआ वह बहुत बड़ा डोल जिससे प्राय: खेत सींचने के लिये पानी निकाला जाता हैं । चरसा । तरसा । पुर । मोट । उ॰—चिबुक कूप, रसरी अलक, तिल सु चरस दुग बैल । बारी बैस गुलाब की. सींचत मनमथ छैल ।—(शब्द॰) । विशेष—इसमें पानी बहुत अधिक आता है और उसे खींचने के लिये प्राय: एक या दो बैल लगते हैं ।

३. भूमि नापने का एक परिमाण जो किसी किसी के मत से २१०० हाथ का होता है । गोचर्म ।

४. गाँजे के पेड़से निकला हुआ एक प्रकार का गोद या चेप जो देखने में प्राय; मोम की तरह का और हरे अथवा कुछ पीले रंग का होता है और जिसे लोग गाँजे या तंबाकू की तरह पीते हैं । नशे में यह प्राय: गाँजे के समान ही होता है । विशेष—यह चेष गाँजे के डंठलों और पत्तियों आदि से उत्तरपश्चिम हिमालय में नेपाल, कुमाऊँ, काश्मीर से अफगानिर- तानौं और तुर्किस्तान तक बराबर अधिकता से निकलता है, और इन्ही प्रदेशों का चरस सबसे अच्छा समझा जाता है । बंगाल, मध्यप्रदेश आदि देशों में और योरप में भी, यह बहुत ही थोड़ी मात्रा में निकलता है । गाँजे के पेड़यदि बहुत पास पास हों तो उनमें से चरस भी बहुत ही कम निकलता है । कुछ लोगों का मत है कि चरस का चेप केवल नर पौधों से निकलता है । गरमी के दिनों में गाँजे के फूलने से पहले ही इसका संग्रह होता है । यह गाँजे के डंठलों को हावन दस्ते में कूटकर या अधिक मात्रा में निकलने के समय उस पर से खरोचकर इकट्ठा किया जाता है । कहीं कहीं चमड़े का पायजामा पहनकर भी गाँजे के खेतों में खूब चक्कर लगाते हैं जिससे यह चेप उसी चमड़े में लग जाता है, पीछे उसे खरोचकर उस रूप में ले आते हैं जिसमें वह बाजारों में बिकता है । ताजा चरस मोम की तरह मुलायम और चमकीले हरे रंग का होता है पर कुछ दिनों बाद वह बहुत कड़ा और मटमैले रंग का हो जाता है । कभी कभी व्यापारी इसमें तीसी के तेल और गाँजे की पत्तियों के चूर्ण की मिलावट भी देते हैं । इसे पीते ही तुरंत नशा होता है और आँखें बहुत लाल हो जाती हैं । यह गाँजे और भाँग की अपेक्षा । बहुत अधिक हानिकारक होता है और इसके अधिक व्यवहार से मस्तिष्क में विकार आ जाता है । पहले चरस मध्यएशिया से चमड़े के थैलों या छोटे छोटे चरसों में भरकर आता था । इसी से उसका नाम चरम पड़ गया ।

चरस ^२ संज्ञा पुं॰ [फा॰ चर्ज] आसान प्रांत में अधिकता से होनेवाला एक प्रकार का पक्षी जिसका मांस बहुत स्वादिष्ट होता है । इसे वन मोर या चीनी मीर भी कहते हैं ।