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चसका

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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चसका संज्ञा पुं॰ [सं॰ चषण]

१. किसी वस्तु (विशेषत:खाने पीने की वस्तु) या किसी काम में एक या अनेक बार मिला हुआ आनंद, जो प्राय: उस चीज के पुन: पाने या उस काम के पुन: करने की इच्छा उत्पन्न करता है । शौक । चाट ।

२. इस प्रकार की पड़ी हुई आदत । लत । जैसे,—उसे शराब पीने का चसका लग गया है । क्रि॰ प्र॰—डालना ।—पड़ना । लगना ।