चाक्षुष

विक्षनरी से

आंख द्वारा जो देखा गया हो।

हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चाक्षुष ^१ वि॰ [सं॰]

१. चक्षु संबंधी ।

२. आँख से देखने का । जिसके बोध नेत्र से हो । चक्षुर्ग्राह्य ।

चाक्षुष ^२ संज्ञा पुं॰

१. न्याय में प्रत्यक्ष प्रमाण का एक भेद । ऐसा प्रत्यक्ष जिसका बोध नेत्रों द्वारा हो ।

२. छठे मनु का नाम । विशेष—भागवत के मत से ये विश्वकर्मा के पुत्र थे । इनकी माता का नाम आकृति और स्त्री का नाम नद्वला था । पुरु कृत्स्न, अमृत, द्यमान्, सत्यवान्, धृत, अग्निष्टोम, अतिरात्र, प्रद्युम्न, शिवि और उल्लुक इनके पुत्र थे । जिस मन्वंतर के ये स्वामी थे, उसके इंद्र का नाम मंध्रद्रुम था । मत्स्यपुराण में पुत्रों के नामों में कुछ भेद है । मार्कंडेय पुराण में चाक्षुष मनु की बड़ी लंबी चौड़ी कथा आई है । उसमें लिखा है कि अनमित्र नामक राजा को उनकी रानी भद्रा से एक पुत्र उत्पन्न हुआ । एक दिन रानी उसपुत्र को लेकर प्यार कर रही थी । इतने में पुत्र एकबारगी हँस पड़ा । जब रानी ने कारण पूछा, तब पुत्र ने कहा—मुझे खाने के लिये एक बिल्ली ताक में बैठी है । मैं तुह्मारी गोद में ८-९-दिन से अधिक नहीं रहने पाऊँगा, इसी से तुम्हारा मिथ्या प्रेम देखकर मुझे हँसी आई । रानी यह सुनकर बहुत दुखी हुई । उसी दिन विक्रांत नामक राजा की रानी को भी एक पुत्र हुआ था । भद्रा कौशल से अपने पुत्र को विक्रांत की रानी की चारपाई पर रखआई और उसका पुत्र लाकर आप पालने लगी । विक्रांत राजा ने उस पुत्र का नाम आनंद रखा । जब आनंद का उपनयन होने लगा, तब आचार्य ने उसे उपदेश दिया 'पहले अपनी माता की पूजा करो' । आनंद ने काहा—मेरी माता तो यहाँ है नहीं; अतः जिसने मेरा पालन किया है, उसी की पूजा करता हूँ' । पूछने पर आनंद ने सब व्यवस्था कह सुनाई । पीछे राजा और रानी को ढारस बँधाकर वे स्वयं तपस्या करने लगे । आनंद की तपस्या से संतुष्ट होकर ब्रह्मा ने उसे मनु बना दिया और उसका नाम चाक्षुष रखा ।

३. स्वायंभुव मनु के पुत्र का नाम ।

४. चौदहवें मन्वतर के एक देव गण का नाम ।