चाप
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
चाप ^३ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] सोने की वे कीलें जिन्हें लोग अगले दाँतों पर जड़वाते हैं ।
चाप ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. धनुष । कमान ।
२. गणित में आधा वृत्तक्षेत्र । विशेष—सूर्यसिद्धांत में ग्रहादि के चाप निकालने की क्रिया दी हुई है ।
३. वृत्त की परिधि का कोई भाग ।
४. धनुराशि ।
चाप ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ चपना]
१. दबाव । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।
२. पैर की आहट । पैर जमीन पर पड़ने का शब्द । जैसे,—इतने में किसी के पैर की चाप सुनाई दी ।