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चारक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चारक संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. गाय भैंस चरानेवाला । चरवाहा ।

२. चलानेवाल । संचारक ।

३. गति । चाल ।

४. चिरौंजी का पेड़ । पियाल ।

५. कारागार ।

६. गुप्तचर । जासूस ।

७. सहचर । साथी ।

८. अश्वारोही । सवार । ९ घूमनेवाला ब्राह्मण छात्र या ब्रह्मचारी ।

१०. मनुष्य ।

११. चरक निर्मित ग्रंथ या सिद्धंत ।

चारक ^२ वि॰ चार एक । थोडे । उ॰— यह संपदा दिवस चारक की सोच समझ मन माहीं । सूर सुनत उठि चली राधिका, दै दूती गलबाहीं ।— संतवाणी॰, भा॰ २, पृ॰ ६१ ।

चारक संज्ञा पुं॰ [सं॰] वह कैद जिसमें न्यायाधीश विचारकाल में किसी को रखे । हवालात ।