चालना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]चालना ^१पु † क्रि॰ स॰ [सं॰ चालन]
१. चलाना । परिचालित करना ।
२. एक स्थान से दूसरे स्थान को ले जाना ।
३. बिदा करा ले आना (बहु आदि) ।
३. हिलाना । डोलाना । इधर उधर फेरना । उ॰— चालत न भुजबल्ली विलोकनि बिरह वस भइ जानकी ।—तुलसी (शब्द॰) ।
५. कार्यनिर्वाह करना । भुगताना । उ॰— चालत सब राज काज आयसु अनुसरत ।— तुलसी (शब्द॰) ।
६. बात उठाना । प्रसंग छेड़ना । उ॰— बनमाली दिसि सैन कै ग्वाली चाली बात ।—(शब्द॰) ।
७. आटे को चलनी में रखकर इधर उधर हिलाना जिसमें महीन आटा नीचे गिर जाय और भूसी या चोकर चलनी में रह जाय । छानना ।
चालना ^२ क्रि॰ अ॰ [सं॰ चालन]
१. चलना । गति में होना । एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना । यौ॰— चालनहार = चलनेवाला ।
२. बिदा होकर आना । चाना होना (नवबधू का) । उ॰— पाखहू न बीत्यो चलिआए हमै पीहर तें नीके कै नजानी सासु ननद जेठानी है । — शिवराम (शब्द॰) ।
चालना ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ चालन] बड़ी चलनी ।