चाह

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चाह ^१ संज्ञा स्त्री॰ [ सं॰ इच्छा (आद्यंत विपर्यय) चाह हिं॰ चाहि । अथवा सं॰ उत्साह, प्रा॰ उच्छाह अथवा सं॰ /?/ चक्ष - चाख, चाह]

१. इच्छा । अभिलाषा ।

२. प्रेम । अनुराग । प्रीति ।

३. पूछ । आदर । कदर । जैसे,—अच्छे आदमी की सब जगह चाह है । उ॰—जाकि यहाँ चाहना है ताकी वहाँ चाहना है, जाकि यहाँ चाह ना है वाकी वहाँ चाह ना ।—पोद्यार अभि॰ ग्रं॰, पृ॰ ५७२ ।

४. माँग । जरूरत । आवश्यकता ।

चाह ^२पु संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰]

१. खबर । समाचार ।

२. गुप्त भेद । मर्म । उ॰—(क) राव रंक जँह लग सब जाती । सब की चाह लेति दिन राती ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) पुर घर घर आनंद महा मुनि चाह सोहाई ।—तुलसी (शब्द॰) ।

चाह ^३ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ चाय] दे॰ 'चाय' ।

चाह ^४ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ चाव] दे॰ 'चाव' ।

चाह ^५ संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰] कुआँ । यौ॰—चाहकन=कुँआ खोदनेवाला ।