चिक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चिक संज्ञा स्त्री॰ [तु॰ चिक]

१. बाँस या सरकंडे की तीलियों का बना हुआ झँझरीदार परदा । चिलमन ।

२. पशुओं को मारकर उनका माँस बेचनेवाला । बूचर । बकर कसाई (बूचरों की दुकान पर चिक टँगी रहती है इसी से यह शब्द बना है) । उ॰—जाट जुलाह जुरे दरजी पै चढे़ चिक चोर चमारे ।—(शब्द॰) ।

चिक ^२ संज्ञा स्त्री॰ [देश॰] कमरका वह दर्द जो एकबारगी अधिक बल पड़ने के कारण होता है । चमक । चिलक । झटका । लचक ।

चिक ^३ संज्ञा स्त्री॰ [अं॰ चेक] किसी बंक या महाजन के नाम वह कागज जिसमें अपने खाते से रूपया देने का आदेश रहता है । हुंडी ।