चित्रण

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चित्रण संज्ञा पुं॰ [सं॰] चित्रमय वर्णन । शब्दों द्वारा ऐसा वर्णन करना जिससे वर्ण्य का मानसिक चित्र उपस्थित हो जाय । संश्लिष्ट रूपयोजना । उ॰—स्थलवर्णन में तो वस्तुवर्णन की सूक्ष्मता कुछ दिनों तक वैसी ही बनी रही पर ऋतुवर्णन में चित्रण उतना आवश्यक नहीं समझा गया जितना कुछ इनी गिनी वस्तुओं का कतन मात्र करके भावों के उद्दीपन का वर्णन ।—चिंतामणि, भा॰ १, पृ॰ १९ ।