चिलक
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]चिलक ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ चिलकना]
१. आभा । कांति । द्युति । चमक । झलक । उ॰—(क) कहै रघुनाथ वाके मुख की लुनाई आगै चिलक जुन्हाइन की चंद सरसानो है ।—रघुनाथ (शब्द॰) (ख) जब वाके रद की चिलक चमचमाती चहु कोनि । मंद होति दुति चंद की चपति चंचला जोती ।—श्रृंगार सत (शब्द॰) । (ग) चिलक तिहारी चाही के सूधो तिलक लगै न ।—श्रृंगार सत॰ (शब्द॰) ।
२. रह रहकर उठनेवाला दर्द । टीस । चमक ।
३. एकबारगी पीडा़ होकर बंद हो जानेवाला दर्द । जैसे,—उठते बैठते कमर में चिलक होती है । क्रि॰ प्र॰—उठना ।—होना ।