चीरना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चीरना क्रि॰ स॰ [सं॰ चीर्ण( =चीरा हुआ अथवा;अनुरणानात्मक)] [संज्ञा चीरा] किसी पदार्थ को एक स्थान से दूसरे स्थान तक एक सिधे में यों ही अथवा किसी धारदार या दूसरी चीज से धँसा या फाडकर खंड या फाँक करना । विदीर्ण करना । फाडना । जैसे,—आरी से लकडी चीरना, नश्तर से घाव चीरना, नाव की पानी चीरना, दोनों हाथों से भीड चीरना आदि । यौ॰—चीर ना फाडना । मुहा॰—माल (या रुपया आदि) चीरना = किसी प्रकार, विशेषत: कुछ अनुचित रुप से, बहुत धन कमाना ।