चुनना
Anpagdzb
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]चुनना क्रि॰ स॰ [सं॰ √चि + नु (विकरण प्रत्य॰)]
१. छोटी वस्तुओं को हाथ,चोंच आदि से एक एक करके उठाना । एक एक करके इकट्ठा करना । बीनना । जैसे,—दाना चुनना ।
२. बहुतों में से छाँटकर अलग करना । समूह में से एक एक वस्तु पृथक् करके निकालना या रखना । जैसे,—अनाज में से कंकड़ियाँ तुनकर फेंकना ।
३. बहुतों में से कुछ को पसंद करके रखना या लेना । समूह या ढेर में से यथारुचि एक को छाँटना । इच्छानुसार संग्रह करना । जैसे,—(क) इनमें जो पुस्तकें अच्छी हों उन्हें चुन लो । (ख) इस संग्रह में अच्छी अच्छी कविवाएँ चुनकर रखी गई हैं ।
चुनना । उ॰—(क) नैना भए पराए चेरे । नंदलाल के रंग गए रँगि अब नाहिं बस मेरे । यद्यपि जतन किए जुगवति हों, श्यामल शोभा घेरे । तउ मिलि गए दुध पानी ज्यों निबरत नाहिं निबेरे ।—सूर (शब्द॰) । (ख) आगे भए हनुमान पाछे नील जांबवान लंका के निसंक सूर मारे हैं निबोरि कै ।— हनुमान (शब्द॰) ।
३. उलझन दुर करना । सुलझाना । फँसाव या अड़चन दूर करना ।
४. निर्णय करना । तै करना । फैसला करना । उ॰—(क) जेहि कौतुक बक स्वान को प्रभु न्याव निबेरो । तेहि कौतुक कहिए कृपालु तुलसी है मेरो ।— तुलसी (शब्द॰) । (ख) प्रण करि के झुठो करि डारत सकल धरम तेहि केरो । जात रसातल जनु ते तुरतहि वेद पुरान निबेरो ।—रघुराज (शब्द॰) ।
५. छोड़ना । त्यागना । तजना । उ॰—मारी मरै कुसंग की ज्यो केरे ठिग बेर । वह हालै वह जीरह साकट संग निबेर ।—कबीर (शब्द॰) ।
६. दुर करना । हटाना । मिटाना । उ॰— मिटै न विपति भजे बिनु रघुपति श्रुति संदेह निबेरो ।— तुलसी (शब्द॰) ।
७. (काम) पूरा करना । निबटाना । सपराना । भुगताना । उ॰—प्रमुदित मुनिहि भाँवरी फेरी । नेग सहित सब रीति निबेरी ।—तुलसी (शब्द॰) ।