चुल्लू

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चुल्लू संज्ञा पुं॰ [सं॰ चुलुक] गहरी की हुई हथेली जिसमें भरकर पानी आदि पी सकें । एक हाथ की हथेली का गड्ढा । (इस शब्द का प्रयोग पानी आदि द्रव पदार्थों के ही संबंध में होता है । जैसे, चुल्लू भर पानी, चुल्लू से दूधपीना, इत्यादि ।) यौ॰—चुल्लू भर = उतना (जल, दूध आदि) जितना चुल्लू में आ सके । मुहा॰—चुल्लू चुल्लू साधना = थोड़ा थोड़ा करके अभ्यास करना । चुल्लू भर पानी में डूब मरी = मुँह न दिखाओ । लज्जा के मारे मर जाओ । (जब कोई अत्यंत अनुचित कार्य करता है तब उसके प्रति धिक्कार के रूप में यह मुहा॰ बोलते हैं) । चुल्लू भर लहु पीना = शत्रु का वध करने के बाद चुल्लू भर खून पीना (प्राचीन काल में इसका चलन था । महाभारत के अनुसार भीम ने दुःशासन के साथ यही किया था) । चुल्लू में उल्लू होना = बहुत थोड़ी सी भाँग या शराब में बेसुध होना । चुल्लू में समुद्र न समाना = छोटे पात्र में बहुत वस्तु न आना । कुपात्र या क्षुद्र मनुष्य से कोई बड़ा या अच्छा काम न हो सकना । विशेष—यद्यपि कुछ लोग दोनों हथेलियों को मिलाकर बनाई हुई अँजली को भी चुल्लू कहते हैं, पर यह ठीक नहीं है ।