चूड़ी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]चूड़ी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ चूड़ा]
१. हाथ में पहनने का एक प्रकार का वृत्ताकार गहना जो लाख, काँच, चाँदी या सोने आदि का बनता है । विशेष—भारतीय स्त्रियाँ चूड़ी को सौभाग्य चिह्न समझती हैं और प्रत्येक हाथ में कई कई चूड़ियाँ पहनती हें । पहनी हुई चूड़ी का टूट जाना अशुभ समझा जाता है । युरोप, अमेरिका आदि की स्त्रियाँ केवल दाहिने हाथ में और प्रायः एक ही चूडी पहनती हैं पर अब विदेशों में भी चूडी पहनने का रवाज हो गया है । क्रि॰ प्र॰—उतारना ।—चढ़ाना ।—पहनना । पहनाना । मुहा॰—चूड़ियाँ ठढी करना या तोड़ना = पति के मरने के समय स्त्री का अपनी चूड़ियाँ उतारना या तोड़ना । वैधव्य का चिह्न धारण करना । चूडियाँ पहनना = स्त्रियों का वेश धारण करना । औरत बनना (व्यंग्य और हास्य में) । जैसे,—जब तुम इतना भी नहीं कर सकते, तो चूड़ियाँ पहन लो । (किसी पर या किसी के नाम की) चूडियाँ पहनना = स्त्री का किसी को अपना उपपति बना लेना । स्त्री का किसी के घर बैठ जाना । चूडियाँ पहनाना = विधवा स्त्री से अथवा विधवा स्त्री का विवाह कराना । चूड़ियाँ बढ़ाना—चूड़ियाँ उतारना । चूड़ियों को हाथों से अलग करना । (चूड़ियों के साथ 'उतारना' शब्द का प्रयोग स्त्रियों में अनुचित और अशुभ समझा जाता है ।)
२. वह मंडलाकार पदार्थ जिसकी परिधि मात्र हो और जिसके मध्य का स्थान बिल्कुल खाली हो । वृत्ताकार पदार्थ । जैसे, मशीन की चूड़ी (जो किसी पुरजे को खसकने से बचाने के लिये पहनाई जाती है; ।
३. फोनोग्राफ या ग्रामोफोन बाजे का रेकार्ड जिसमें गाना भरा रहता है अथवा भरा जाता है । विशेष—पहले पहल जब केवल, फोनोग्राफ का आविष्कार हुआ था, तब उसके रेकार्ड लबे और कुंडलाकार बनते थे और उक्त बाजे में लगे हुए लंबे नल पर चढ़ाकर बजाए जाते थे । उन्हीं रेकार्डों को चूड़ी कहते थे । पर आजकल के ग्रामो- फोन के रेकार्डों को भी, जो तवे के आकार की गोल पटरियाँ होती हैं, चूड़ी कहते हैं ।
४. चूड़ी की आकृति का गोदना जो स्त्रियाँ हाथों पर गोदाती हैं ।
५. रेशम साफ करनेवालों का एक औजार । विशेष—यह चंद्राकार मोटे कड़े की शकल का होता है और मकान की छत में बाँस की एक कमानी के साथ बँधा रहता है । इसके दोनों और दो टेकुरियाँ होती हैं । बाईं और की टेकुरी में साफ किया हुआ और दाहिनी ओर की टेकुरी में उलझा हुआ रिशम लपेटा रहता है ।
चूड़ी ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ चूड़ा] वे छोटी छोटी मेहराबें जिसमें कोई बड़ी मेहराब विभक्त रहती है ।