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चूलिका

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चूलिका संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. चूलका ।

२. नाटक का एक अंग जिसमें नेपथ्य से किसी घटना के हो जाने की सूचना दी जाती है । विशेष— संस्कृत साहित्यके नियमानुसार रंगशाला पर युद्ध या मृत्यु आदि का दृश्य दिखलाना निषिद्ध है; इसलिये उसकी सूचना नेपथ्य से हो जाया करती है । संस्कृत के नाटककार भवभूतिकृत वीरचरित नाटक में इस प्रकार की एक चूलिका है । उसमें नेपथ्य से कहा जाता है — 'राम ने परशुराम पर विजय पा ली है; अतः हे विमानपर बैठनेवालो, आप लोग मंगलगीत आरंभ करें' ।

३. मुर्गे की कलँगी (को॰) ।

४. हाथी की कनपटी या कर्णमूल (को॰) ।

५. धनुष का सिरा या ऊपरी भाग (को॰) ।