सामग्री पर जाएँ

चौका

विक्षनरी से


प्रकाशितकोशों से अर्थ

[सम्पादन]

शब्दसागर

[सम्पादन]

चौका ^१ † संज्ञा पुं॰ [सं॰ चुषण] चूसने की क्रिया । चूसना । मुहा॰ — चोका लगाना = मुँह लगाकर चूसना । उ॰— ते छकि रस नव केलि करेहीं । चोका लाइ अधर रस लेंहीं ।— जायसी ग्रं॰, पृ॰ १४० ।

चौका संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ चतुष्क, प्रा॰ चउक्का]

१. पत्थर का चौकोर टुकडा । चौखूँटी सिल ।

२. काठ या पत्थर का पाट जिसपर रोटी बेलते हैं । चकला ।

३. सामने के चार दाँतों की पंक्ति । उ॰—नैकु हँसौही बानितजि लख्यो परत मुँहुँ नीठि । चौका चमकनि चौंधि में परति चौधि सी डीठि ।—बिहारी (शब्द॰) ।

४. सिर का एक गहना । सीसफूल ।

५. वह ईंट जिसकी लंबाई चौडाई बराबर हो ।

६. वह लिपा पुता स्थान जहाँ हिंदू लोग रसोई बनाने खाते हैं । (इस स्थान पर बाहारी लोग या बिना नहाए धोए घर के लोग भी नहीं जोने पाते ।) ।

७. मिट्टी या गोबर का लेप जो सफाई के लिये किसी स्थान पर किया जाय । मिट्टी या गोबर की तह जो लीपन यो पोतने में भूमि पर चढे । क्रि॰ प्र॰—देना ।—फेरना ।—लगाना । यौ॰—चौका बरतन चौका बासन = बरतन माँजना और रसौई- घर की सफाई तथा लिपाई पुताई करना । उ॰—कुछ दिनों से नौकर हटाकर घर का काम धंधा करना शुरू कर दिया है, चौका बासन भी करती है ।—सुनीता, पृ॰ २२ । चौकाचार = चौके चूल्हे का आचार । उ॰—चौकाचार विचार राग अनुरागेऊँ ।—जग॰ श॰, पृ॰ ६१ । चौके रकी राँड = जो विवाह के तुरंत बाद ही विधवा हो गई हो । मुहा॰—चोका बरतन करना = बरतन माँजने और रमोई का घर लीपने पोतने का काम करना । चौका धोलना = दे॰ 'चौका लगाना' । चौका लगाना = (१) लीप पोतकर बराबर करना । (२) सत्यानाश करना । चौपट करना । उ॰—कियो तीन तेरह सबै चौक चौका लाय ।—हरिश्चंद्र (शब्द॰) ।

८. एक प्रकार का जंगली बकरा जिसे सींग होते हैं । विशेष—यह प्राय: जलाशय के आसपास की झाडियों में रहता है । रंग इसका बादामी होता है । यह २ फुट ऊँचा और ४, ५ फुट लंबा होता है । बचपन ही से यदि यह पाला जाय तो रह सकता है । इसके बाल पतले और रूखे होते हैं । इसे चौसिंघ कहते हैं ।

९. एक ही स्थान पर मिला या सटाकर रखी हुई एक ही प्रकार की चार वस्तुओं का समूह । जैसे, अंगौछे का चौका, चुनरी का चौका, चौकी का चौका, मोतियों का चोका ।

१०. ताश का वह पत्ता जिसमें चार बूटियाँ हों । जैसे, ईंट का चौका ।

११. एक प्रकार का मोटा कपडा जो फर्ज या जाजिम बनाने के काम में आता है ।

१२. एक बरतन का नाम ।

१३. किसी स्थान को लीपकर उसमें आटे से रैखाँएँ पारना । इस स्थान पर पवित्र कार्य या विवाह आदि होता है ।

१३. कुलाँच भरना । उ॰ हमारी कुम्मैत घोडी जुते हुए खेत में चौका चलती है । ज्ञान॰, पृ॰ ९९ ।