चौथ

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चौथ ^१ संज्ञा स्त्री॰ [पुं॰ चतुर्थी, प्रा॰ चउत्थि, हिं॰ चउथि]

१. प्रतिपक्ष की चौथी तिथि । हर पखवारे का चौथा दिन । चतुर्थी । मुहा॰— चौथ का चाँद = भाद्र शुक्ल चतुर्थी का चंद्रमा जिसके विषय में प्रसिद्ध है कि यदि कोई देख ले तो झूठा कलंक लगता है । उ॰— लगै न कहुँ ब्रज गलिन में आवत जात कलंक । निरखि चौथ को चंद यह सोचत सुमुखि ससंक ।— पद्माकर (शब्द॰) । विशेष— भागवत आदि पुराणों में लिखा है कि श्रीकृष्ण ने चौथ का चंद्रमा देखा था; इसी से उन्हें स्यमंतक मणि की चोरी लगी थी । अबतक हिंदू भादों सुदी चौथ के चंद्रमा का दर्शन बचाते हैं; और यदि किसी को झूठ मूठ कलंक लगता है तो कहते हैं कि उसने चौथ का चांद देखा है । काशी में लोग इसे ढेला चौथ कहते हैं ।

२. चतुर्थांश । चौथाई भाग ।

३. मराठों का लगाया हुआ एक प्रकार का कर जिसमें आमदंनी या तहसील का चतुर्थांश ले लिया जाता था ।

चौथ ^२पु † वि॰ चौथा । उ॰—चंपकलता चौथ दिन जान्यो मृगमद सीर लगायो ।—सूर(शब्द॰) ।