चौपाई
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]चौपाई संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ चतुष्पदी]
१. एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में १६ मात्राएँ होती है । इसके बनाने में केवल द्विकल और त्रिकल का ही प्रयोग होता है । इसमें किसी त्रिकल के बाद दो गुरु और सबसे अंत में जगण या तगण न पड़ना चाहिए । इसे रूप चौपाई या पादाकुलक भी कहते हैं । विशेष—वास्तव में चौपाई (चतुष्पदी) वही है जिसमें चार चरण हों और चारों चरणों का अनुप्रास मिला हो । जैसे,— छूअत सिला भइ नारि सुहाई । पाहन तें न काठ कठिनाई । तरनिउ मुनिधरनी होइ जाई । बाट परइ मोरि नावउडा़ई ।