चौरंग

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

चौरंग ^१ संज्ञा पुं॰ [हि॰ चौ(=चार)+रंग(=प्रकार, ढब)] तलवार का एक हाथ । तलवार चलाने का एकढ़ब जिससे चीजे कटकर चार टुकड़े हो जाती हैँ । खङ्ग प्रहार का एक ढंग

चौरंग ^२ वि॰

१. तलवार के वार से कई टुकड़ों में कटा हुआ । खङ्ग के आघात से खंड़ खंड़ । उ॰—कहुँ तेग को घालिकै, करहि टूक चौरंग । सुनि, लखि पितु बिसुनाथ नृप, होत मनहि मन दंग ।—(शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—करना ।—काटना । मुहा॰—चौरग उड़ाना या काटना = (१) तलवार आदि से किसी चीज को बहुत सफाई से काटना । (२) एक में बँधे हुए ऊँट के चारों पैरो को तलवार के एक हाथ मनें काटना । विशेष—देशी रियासतों तथा अन्य स्थानों में विरता की परीक्षा के लिये यह परीक्षा थी । इसमें ऊँट के चारों पैर एक साथ बाँध दिए जाते है । ऊँट के पैर की नलियाँ बहुत मजबूत होती है; इसलिये जो उन चारों पैरों को एक ही हाथ में काट देता है,वह बहुत बीर समझा बीर समझा जाता है ।

२. चार रंगोंवाला ।

३. चारों तरफ समान रूप से होनेवाला ।

४. जो चारों तरफ एक जैसा हो ।