छतिवन

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

छतिवन संज्ञा पुं॰ [सं॰ सप्तवर्ण, प्रा॰ सत्तपणण, सत्तवणणसत्तिवणण, सत्तिवन्न; छत्तिवणण छत्तबणण] एक पेड़ जो भारत के प्रायः सभी तर प्रदेशों में थोड़ा बहुत मिलता है । सप्तपर्णी । सप्तच्छद । विशेष—इसके एक एक पत्ते में सात सात छोटी छोटी पत्तियाँ होती हैं । इसका पेड़ बड़ा होता है और इसकी टहनियों के तोड़ने से दूध निकलता है । इसकी छाल वृष्य, कृमिनाशक, पुष्टिकारक, ज्वरघ्न और संकोचक होती है । इसका दूध फोड़े पर लगाया जाता है और तेल में मिलाकर दर्द दूर करने के लिये कान में जाला जाता है । इसकी लकड़ी सदूक, अलमारी आदि बनाने के काम में आती है । दशमूल नामक काढे़ में इसकी छाल पड़ती है ।