सामग्री पर जाएँ

छनदा

विक्षनरी से


प्रकाशितकोशों से अर्थ

[सम्पादन]

शब्दसागर

[सम्पादन]

छनदा पु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ क्षणदा]

१. रात । रात्रि । उ॰—तज संक सकुचति न चित, बोलति बाकु कुबाकु । छिन छनदा छाकी रहत, छुटत न छिन छबि छाकु ।—बिहारी र॰, दो॰ २१८ ।

२. बिजली । विद्युत् । उ॰—नभमंडल ह्वै छितिमंडल ह्वै, छनदा की छटा छहरान लगी ।—मतिराम (शब्द॰) ।