छपरी पु † संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ छप्पर] झोपड़ी । मढ़ी । उ॰— चंदन की कुटकी भली, बँबूर की अबराँड़ँ । बैश्नों की छपरी भवी, ना साषत का बड़ गाँउँ । कबीर ग्रं॰, पृ॰ ५२ ।