छप्पय
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]छप्पय संज्ञा पुं॰ [सं॰ षट्पद, प्रा॰ छप्पय] एक मात्रिक छंद जिसमें छह चरण होते हैं । विशेष—इस छंद में पहले रोला के चार पद, फिर उल्लाला के दो पद होते हैं । लघु गुरु के क्रम से इस छंद के ७१ भेद होते हैं । जैसे—अजय विजय बलकर्ण बीर बैताल बिहंकर । मर्कंट हरि हर ब्रह्म इद्र चंदन जु शुभंकर । श्वान सिंह शर्दूल कच्छ कोकिल खर कुंजर । मदन मत्स्य ताटंक शेष सारंग पयोधर । शुभकमल कंद वारण शलभ, भवन अजंगम सर सरस । गणि समर सु सारस मेरु कहि, मकर अली सिद्धिहि सरस ।