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छरहरा

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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छरहरा ^१ वि॰ [हिं॰ छल + हारा (प्रत्य॰)] [वि॰ स्त्री॰ छरहरी, संज्ञा छरहरापन]

१. क्षीणांग । सुबुक । छलका । जो मोटा या भद्दा न हो । जैसे, छरहरा बदन । उ॰—राधिका सग मिलि गोप नारी । जुबति आनंद भरी, भई जुरि कै खरी नई छरहरि सुठि बैस थोरी । सूर प्रभु सुनी स्रवन, तहाँ कीन्हौ गवन, तरुनि मन रवन सब ब्रज किसोरी ।—सूर॰ १० । १७५१ ।

२. चुस्त । चालाक । तेज । फुरतीला ।

छरहरा ^२ वि॰ [हिं॰ छर (= छड़) + हारा (प्रत्य॰) (= छड़) या सं॰ क्षीर—भार] बहुरूपिया ।