छलकना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]छलकना क्रि॰ अ॰ [अनु॰]
१. पानी या और किसी पतली चीज का हिलने डुलने आदि के कारण बरतन से उछलकर बाहर गिरना । आघात के कारण पानी आदि का बरतन से ऊपर उठकर बाहर आना । विशेष—इस शब्द का प्रयोग पात्र और पात्र में भरे हुए जल आदि दोनों के लिये होता है । जैसे, अधजल गगरी छलकत जाय ।
२. उमडना । बाहर प्रकट होना । उदगारित होना । उ॰—(क) मनहुँ उमगि अँग अँग छबि छलकैं ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) गोकुल में गोपिन गोबिंद संग खेली फाग राति भरि, प्रात समय ऐसी छबि छलकैं ।—पद्माकर (शब्द॰) ।