छलनी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]छलनी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ चालनी, हिं॰ चालना या सं॰ क्षालिनी] महीन कपड़े या छेददार चमड़े से मढ़ा हुआ एक मँडरेदार बरतन जिसमें चोकर, भूसी आदि अलग करने के लिये आटा छानते हैं । आटा चालने का बरतन । चलनी । मुहा॰—(किसी वस्तु को) छलनी कर डालना या कर देना= (१) किसी वस्तु में बहुत से छेद कर डालना । (२) किसी वस्तु को बहुत से स्थानों पर फाड़कर बेकाम कर डालना । (किसी वस्तु का) छलनी हो जाना = (१) किसी वस्तु में बहुत से छेद हो जाना । (२) किसी वस्तु का स्थान स्थान पर फटकर बेकाम हो जाना । छलनी में डाल छाज में उड़ाना= बात का बतंगड़ करना । थोड़ी सी बुराई या दोष को बहुत बढ़ाकर कहना । थोड़ी सी बात को लेकर चारों ओर बढ़ा चढ़ाकर कहते फिरना । (स्त्रियाँ) कलेजा छलनी होना= (१) दुख या झंझट सहते सहते हृदय जर्जर हो जाना । निरंतर कष्ट से जी ऊब जाना । (२) जी दुखानेवाली बात सुनते सुनते घबरा जाना ।