छिलका
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]छिलका संज्ञा पुं॰ [सं॰ शल्क(=वल्कल, छाल), देशी छल्ली (=छाल)] फलों, कदों तथा इसी प्रकार की और वस्तुओं के ऊपर का कोश या बाहर आवरण जो छीलने, काटने या तोड़ने से सहज में अलग हो सकता है । फलों की त्वचा या ऊपरी झिल्ली । एक परत की खोल जो फलों, बीजों आदि के ऊपर होती है । जैसे, सेब का छिलका, कटहल का छिलका, गन्ने का छिलका, अंडे का छिलका । विशेष—छाल, छिलका और भूसी में अंतर हैं । छाल पेड़ों के धड़, डाल और टहनियों के ऊपरी आवरण को कहते हैं, जो काटने, छीलने आदि से जल्दी अलग हो जाता है । भूसी महीन दानों के सूखे हुए आवरण को कहते हैं जो कूटने से अलग होता है ।