छीन
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]छीन ^१ वि॰ [सं॰ क्षीण]
१. दुबला । पतला । कृश ।
२. शिथिल । मंद । मलिन । उ॰—पूँछ को तजि असुर दौरि कै मुख गह्यौ सुरन तब पूँछ की ओर लीन्ही । मथत भए छीन, तब बहुरि बिनती करी श्री महाराज निज सक्ति दीनी ।—सूर॰ ८ ।८ ।
छीन ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ क्षण, हिं॰ छिन] क्षण । क्षण भर का समय । उ॰—पलटू बरस और दिन पहर घड़ी पल छीन । ज्यों ज्यों सूखै ताल है त्यों त्यों मीन मलीन ।—पलटू॰, पृ॰ २५ ।