छीना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

छीना ^१ † क्रि॰ स॰ [सं॰ छुप(=छूना) या सं॰ स्पृश, प्रा॰ छिव (=छूना)] छूना । स्पर्श करना । उ॰—(क) ग्वालि बचन सुनि कहति जसोमति भले भूमि पर बादर छीवो । तुलसी (शब्द॰) । (ख) हरि राधिका मानसरोवर के तट ठाढे़ री हाथ सो हाथ छिए ।—केशव (शब्द॰) ।

छीना ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ छिन्न]

१. घडे़ के नीचे का कपाल या गोल भाग जो फोड़कर अलग कर दिया गया हो ।

२. मिट्टी का वह साँचा जिसपर कुम्हार घडे़ कुंडे आदि की पेंदी या कपाल को रखकर थापी से पीटते हैं ।