छूना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]छूना ^१ क्रि॰ अ॰ [सं॰ छुप, प्रा॰ छुव + हिं॰ ना (प्रत्य॰), पूर्वी हिं॰ छूबना] एक वस्तु का दूसरी वस्तु के इतने पास पहुँचना कि दोनों के कुछ अंश एक दूसरे से लग जायँ । एक वस्तु के किसी अंश का दूसरी वस्तु के किसी अंश से इस प्रकार मिलना कि दोनों के बीच कुछ अंतर या अवकाश न रह जाय । स्पर्श होना । आंशिक संयोग होना । जैसे,—चारपाई ऐसे ढंग से बिछाओ कि कहीं दीवार से न छू जाय । सयो॰ क्रि॰—जाना ।
छूना ^२ क्रि॰ स॰
१. किसी वस्तु तक पहुँचकर उसके किसी अंग को अपने किसी अंग से सटाना या लगाना । किसी वस्तु की और आप बढकर उसे इतना निकट करना कि बीच में कुछ अवकाश या अंतर न रह जाय । स्पर्श करना । संसर्ग में लाना । जैसे—धीरे धीरे यह डाल छत को छू लेगी । संयो क्रि॰—देना ।—लेना । मुहा॰—आकाश छूना = बहुत ऊँचे तक जाना । बहुत ऊँचा होना ।
२. हाथ बढाकर ऊँगलियों के संसर्ग में लाना । हाथ लगाना । त्वगिंद्रिय द्वारा अनुभव करना । जैसे,—(क) इसे छूकर देखो कितना कडा है । (ख) इस पुस्तक को मत छूओ । मुहा॰—छूने से होना या छूने को होना = रजस्वला होना ।
३. दान के लिये किसी वस्तु को स्पर्श करना । दान देना । जैसे, खिचडी छूना, बछिया छूना या छूकर देना । सोना छूना । विशेष—दान देने के समय वस्तु को मंत्र पढकर स्पर्श करने का विधान है ।
४. दौड की बाजी में किसी को पकडना ।
५. उन्नती का समान श्रेणी में पहुँचना । जैसे,—यह लडका अभी छठे दरजे में है पर दो बरस में तुम्हें छू लेगा ।
६. धीरे से मारना । जैसे, तुम जरा सा छूने से रोने लगते हो ।
७. थोडा व्यवहार करना । बहुत कम काम में लाना । जैसे, छुट्टी में तुमने कभी किताब छुई है ।
८. पोतना । लगाना । जैसे,—चूना छूना, रंग छूना ।