छेनी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

छेनी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ छेना]

१. लोहे का वह औजार जिससे धातु, पत्थर आदि काटे या नकाशे जाते हैं । टाँकी । विशेष—यह पाँच छह अंगुल लंबा लोहे का टुकजा होता है जिसके एक और चौडी धार होती है । नक्काशी करते समय इसे नोक के बल रखकर ऊपर ठोंकते हैं । नक्काशी करने की छेनी सो सोलह भेद हैं—(१) खेरना । इससे गोल लकीर बनाई जाती है । (२) चेरना । इससे सीधी लकीर बनाई जाती है । (३) पगेरना । इससे लहर बनाई जाती है । (४) गुलसुम । इससे गोल गोल दाने बनाए जाते हैं । (५) फुलना । इससे फूल और पत्तियाँ बनाई जाती हैं । (६) बलिस्त । इससे बडी बडी पत्तियाँ बनाई जाते हैं । (७) दोन्नर्द । इससे छोटी पत्तियाँ बनाई जाती है । (८) तिलरा । (९) डिंगा । इन दोनों से गोल महराव काटा जाता है ।(१०) किर्रा । इससे बेल और पत्तियाँ बनाई जाती है । (११) मलकरना । इससे दोहरी लकीर बनती है । (१२) सूतदार पगेरना । इससे एक बार में दोहरी लहर बनती है । (१३) गोटरा । इससे गोल नक्काशी बनाई जाती है । (१४) पनदार गोटरा । इससे पान बनाया जाता है । (१५) चौकाना गुलुसुम । (१६) तिकोना गुलसुम । इन दोनों से चौकनी और तिकोनी नक्काशी बनाई जाती है ।

२. वह नहरनी जिससे पोस्ते से अफीम पोछकर निकाली जाती है ।