छोपना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]छोपना क्रि॰ स॰ [हिं॰ छुपाना या हिं॰ छोप+ना (प्रत्य॰) ]
१. किसी गीली या गाढी वस्तु को दूसरी वस्तु पर इस प्रकार रखकर फैलाना कि उसकी मोटी तह चढ जाय । गाढा लोप करना । जैसे,—नीम की पत्ती पीसकर फोडे पर छोप दो । संयो, क्रि॰—देना ।
२. गीली मिट्टी या पानी में सनी हुई और किसी वस्तु के लोंदे को किसी दूसरी वस्तु पर इस प्रकार फैलाकर रखना कि वह उससे चिपक जाय । गिलावा लगाना । थोपना । जैसे,— दीवार में जहाँ जहाँ गड्ढे हैं, वहाँ मिट्टी छोप दो । यौ॰—छोपना छापना = गड्ढे आदि मूँदकर मरम्मत करना । फटे या गिरे पडे को दुरुस्त करना । संयो॰ क्रि॰—देना ।
३. किसी वस्तु पर इस प्रकार पडना कि वह बिलकुल ढक जाय । किसी पर इस प्रकार चढ बैठना कि वह इधर उधर अंग न हिला सके । धर दबाना । ग्रसना । जैसे,—शेर बकरी की छोपकर बैठा रहा । संयो॰ क्रि॰—लेना ।
४. आच्छादित करना । ढकना । छेंकना ।
५. † किसी बात को छिपाना । परदा डालना ।
६. किसी को वार या आघात से बचाना । आक्रमण आदि से रक्षा करना । †
७. कोई वस्तु किसी के मत्थे थोपना या बाध्य करके उसे दे देना ।