छोल
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
छोल ^१पु संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ छोलना]
१. छिल जाने का चिन्ह या घाव ।
२. साँप के काटने में उसके दाँत लगने का एक भेद जिसमें केवल चमडे में खरोंच लग जाता है ।
छोल ^२पु संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰]
१. आवरण । घेरा । उ॰—आठहू पहर मस्ताना माता रहै, ब्रम्ह की छोल में साध जीवै ।—तुरसी॰, श॰, पृ॰ ९५ ।
३. क्रीडा । खेल । उ॰—सीता बरी जनक पण साँचव, सुपह किया अपसोसै । छाता खलाँ उतोले छोलाँ, भ्राता तूझ भरोसै ।—रघु॰ रू॰, पृ॰ १९१ ।
३. तरग । लहर । उ॰—इण विध आभरणांह मनूँ मुकता मिली । छक तरुणाई छोल पयोनिध ज्यों छिली ।—बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ ३, पृ॰ ४० ।