जँभाई

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जँभाई संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ जूम्भा] मुँह के खुलने की एक स्वाभाविक क्रिया जो निद्रा या आलस्य मालूम पड़ने, शरीर से बहुत अधिक खून निकल जाने या दुर्बलता आदि के कारण होती है । उबासी । विशेष—इसमें मुँह के खुलते ही साँस के साथ बहुत सी हवा धीरे धीरे भीतर की ओर खिंच आती है और कुछ क्षण ठहरकर धीरे घीरे बाहर निकलती है । यद्यपि यह क्रिया स्वाभाविक और बिना प्रयत्न के आपसे आप होती है, तथापि बहुत अघिक प्रयत्न करने पर दबाई भी जा सकती है । प्रायः दूसरे को जँभाई लेते हुए देखकर भी जँभाई आने लगती है । हमारी यहाँ के प्राचौन ग्रंथों में लिखा है कि जिस वायु के कारण जँभाई आती है उसे 'देवदत्त' कहते हैं । वैद्यक के अनुसार जँभाई आने पर उत्तम सुगंधित पदार्थ खाना चाहिए । क्रि॰ प्र॰—आना ।—लेना ।