जंतरी
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जंतरी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ यन्त्र]
१. छोटा जंता जिसमें सोनार तार बढ़ाते हैं । वि॰ दे॰ 'जंता—२' । मुहा॰—जंतरी में खींचना = (१) तारों को जंते में डालकर पतला और लंबा करना । (२) सीधा करना । दुरुस्त करना । कज निकालना । टेढ़ापन दूर करना ।
२. पत्र । तिथिपत्र । एक तरह का पंचांग । उ॰—मेरे यहाँ की संग्रह की जंतरियों आदि को देखकर ही यह बात लिखी है ।—सुंदर॰ ग्रं॰, भा॰ १ (जी॰) पृ॰ १२१ ।
जंतरी ^२ संज्ञा पुं॰
१. जादूगर । भानमती ।
२. बाजा बजानेवाला । वाद्यकुशल व्याक्ति । उ॰—बिना जंतरी यंत्र बाजता गगन में ।—पलटू॰, पृ॰ ९४ ।