सामग्री पर जाएँ

जंत्र

विक्षनरी से


प्रकाशितकोशों से अर्थ

[सम्पादन]

शब्दसागर

[सम्पादन]

जंत्र संज्ञा पुं॰ [सं॰ यन्त्र]

१. कल । औजार ।

२. तांत्रिक यंत्र । यौ॰—जंत्रमंत्र ।

३. ताला ।

४. तंत्र वाद्य । बाजा । वि॰ दे॰ 'यंत्र' । उ॰—कबीर जंत्र न बाजही, टूटि गया सब तार ।—कबीर सा॰ सं॰, पृ॰ ७९ ।