जंत्र संज्ञा पुं॰ [सं॰ यन्त्र] १. कल । औजार । २. तांत्रिक यंत्र । यौ॰—जंत्रमंत्र । ३. ताला । ४. तंत्र वाद्य । बाजा । वि॰ दे॰ 'यंत्र' । उ॰—कबीर जंत्र न बाजही, टूटि गया सब तार ।—कबीर सा॰ सं॰, पृ॰ ७९ ।