जंबुद्वीप

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जंबुद्वीप संज्ञा पुं॰ [सं॰ /?/जम्बुद्वीप] पुराणानुसार सात द्वीपों में से एक द्वीप । विशेष—यह दीप पृथवी के मष्य में माना गया है । पुराण का मत है कि यह गोल है और चारो ओर से खारे समुद्र से घिरा है । यह एक लाख योजन विस्तीर्ण है और इसके नौ खंड माने गए है जिनमें प्रत्येक खंड़ नौ नौ हजार योजन विस्तीर्ण हैं । इन नौ खंड़ों को वर्ष भी कहते है । इलावृत खंड इन खंडौ के बीच में बतलाया गया है । इलावृत खंड के उत्तर में तीन खंड है—रम्यक, हिरण्मय, और कुरुवर्ष । नील, श्वेत और श्रृंगवान् नामक पर्वत क्रमशः इलावृत और रम्यक, रम्यक और हिरण्मय तथा हिरण्मय और कुरुवर्ष के मध्य में है । इसी प्रकार इलावृत के दक्षिण में भी तीन वर्ष हैं जिनके नाम हरिवर्ष, पुरुष और भारतवर्ष है; और दो दो वर्षों के बीच एक एक पर्वत है जिनके नाम निषध, हेमकूट और हिमालय है । इलावृत के पूर्व में मद्राश्व और पश्चिम में केतुमाल वर्ष है; तथा गंधमादन और माल्य नाम के दो पर्वत क्रमशः इलावृत खंड़ के पूर्व और पश्चिम सीमारूप हैं । पुराणों का कथन है कि इस द्वीप का नाम जंबुद्वीप इसलिये पड़ा है कि इसमें एक बहुत बड़ा जंबु का पेड़ है जिसमें हाथी के इतने बड़े फल लगते हैं । बोद्ध लोग जंबुद्वीप से केवल भारतवर्ष का ही ग्रहण करते हैं ।