जकंदना पु † क्रि॰ अ॰ [हिं॰ जकंद + ना (प्रत्य॰)] १. कूदना । उछलना । उ॰—सजोम जकंदत जात तुरंग । चढे़ रन सुरनि रंग उमंग ।—हम्मीर॰, पृ॰ ५० । २. टूट पड़ना । उ॰— जमन जोर करि घाइया तब भरत जकंदे । मानो राहु सपट्टिया भच्छन नू चंदे ।—सूदन (शब्द॰) ।