जक्त पु † संज्ञा पुं॰ [सं॰ जगत्] दे॰ 'जगत' । उ॰—ओर ते छोर ले एक रस रहत है, ऐसे जान जक्त में विरले प्रानी ।— कबीर॰ रे॰, पृ॰ २७ ।