जघन्य
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जघन्य ^१ वि॰ [सं॰]
१. अंतिम । चरम ।
२. गर्हित । त्याज्य । अत्यंत बुरा ।
३. क्षुद्र । नीच । निकृष्ट ।
४. निम्न कुलोत्पन्न । नीच कुल का (को॰) ।
जघन्य ^२ संज्ञा पुं॰
१. शूद्र ।
२. नीच जाति । हीन वर्ण ।
३. पीठ का वह भाग जो पुट्ठे के पास होता है ।
४. राजाओं के पाँच प्रकार के संकीर्ण अनुचरों में से एक । विशेष—बृहत्संहिता के अनुसार ऐसा आदमी घनी, मोटी बु्द्धि का, हँसोड़ और क्रूर होता है ओर उसमें कुछ कवित्व शक्ति भी होती है । ऐसे मनुष्य के कान अर्धचंद्राकार, शरीर के जोड़ अधिक दृढ़ और उँगलियाँ मोटी होती हैं । इसकी छाती, हाथों और पैरों में तलबार् और खाँड़े आदि के से चिह्न होते हैं ।
५. दे॰ जघन्यभ ।
६. लिंग । शिश्न (को॰) ।