जठराग्नि

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जठराग्नि संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] पेट की वह गरमी या अग्नि जिसमें अन्न पचता है । विशेष—वित्त की कमी वे /?/से जठराग्नि चार प्रकार की मानी गई है; नंदाग्नि, विषमाग्नि, तीक्ष्अग्नि, और समाग्नि ।