जथा

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

जथा ^२ क्रि॰ वि॰ [सं॰ यथा]

१. दे॰ 'यथा' । उ॰—जथा भूमि सब बीज मैं, नखत निवास अकास । रामनाम सब धरम मैं जानत तुलसीदास ।—तुलसी ग्रं॰, भाग २, पृ॰ ८८ । यौ॰—जथाजोग । जयाथित । जथारुचि = अपने इच्छानुसार । उ॰—बटु करि कोटि कुतर्कं जथारुचि बोलइ ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ ३४ । जथालाभ = जो भी मिल जाय उसमें । जोभी प्रास हो उससे । उ॰—जथालाभ संतोष सदाई ।—मानस, ७ ।४६ ।

जथा ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ यूथ] मंडली । गरोह । समूह । टोली । कि॰ प्र॰—बाँधना ।

जथा ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ गथ] पूँजी । धन । संपत्ति । यौ॰—जमा जथा ।