जनेऊ
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]जनेऊ संज्ञा पुं॰ [सं॰ यज्ञोपवीत, प्रा॰ जन्नोवईय, अथवा सं॰ जन्म] यज्ञोपवीत । ब्रह्मसूत्र । उ॰—बामन को जनम जनेऊ मेलि जानि बूझि, जीभ ही बिगारिबे को याच्यो जन जन में ।—अकबरी॰, पृ॰ ११५ । मुहा॰—जनेऊ का हाथ=पटेबाजी या तलवार का एक हाथ जिसमें प्रतिद्वंद्वी की छाती पर ऐसा आघात लगाया जाता है जैसे जनेऊ पड़ा रहता है । इसे जनेव या जनेवा का हाथ भी कहते हैं ।
२. यज्ञोपवीत संस्कार । उ॰—छीन्ह जनेऊ गुरु पितु माता ।—मानस, १ ।२०४ ।